LGBTQ+ Discrimination in India: A Struggle for Dignity and Equality Introduction Discrimination against the LGBTQ+ community continues to be a persistent issue in India, despite legal advancements. LGBTQ+ stands for Lesbian, Gay, Bisexual, Transgender, Queer (or Questioning), and others who fall outside of heterosexual and cisgender norms. While homosexuality was decriminalized in 2018 by the Supreme Court, social, economic, and cultural exclusion still dominate the lives of queer individuals. This article explores the multifaceted nature of LGBTQ+ discrimination in India, the affected groups, systemic challenges, and the way forward. What is LGBTQ+ Discrimination? LGBTQ+ discrimination refers to the unfair treatment, violence, marginalization, and exclusion faced by individuals due to their sexual orientation or gender identity. It includes verbal abuse, bullying, denial of employment, lack of access to education, homelessness, physical and sexual violence, and social ostracism. In I...
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025
हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, जो न केवल भारत की प्राचीन विरासत को विश्व पटल पर स्थापित करता है बल्कि मानवता को स्वास्थ्य, संतुलन और मानसिक शांति का उपहार भी देता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से घोषित किया गया था और 2015 से विश्वभर में मनाया जाने लगा। योग केवल शरीर को मोड़ने और आसन करने की विधि नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से संतुलित करती है। योग में अनेक प्रकार की विधियाँ हैं – जैसे हठ योग, राज योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग, कुंडलिनी योग आदि, जो अलग-अलग स्तरों पर मानव चेतना को जाग्रत करने का कार्य करती हैं। आज के तनावपूर्ण और व्यस्त जीवन में योग न केवल रोगों से लड़ने की शक्ति देता है बल्कि मन को भी स्थिर और प्रसन्न बनाए रखता है। श्वास की गति को नियंत्रित करने वाले प्राणायाम, ध्यान की विधियाँ, और सरल योगासन जैसे ताड़ासन, वज्रासन, भुजंगासन, त्रिकोणासन आदि से शरीर की ऊर्जा पुनः जाग्रत होती है। योग से अनिद्रा, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अवसाद, चिंता जैसे विकारों में अत्यंत लाभ होता है। बच्चों में योग से एकाग्रता और अनुशासन बढ़ता है, वहीं बुजुर्गों के लिए यह जोड़ों के दर्द और मानसिक चिंता को कम करता है। आज जब डिजिटल युग में अधिकांश लोग मोबाइल, लैपटॉप और टेलीविजन की दुनिया में उलझ चुके हैं, योग उन्हें फिर से प्राकृतिक और सजीव जीवन के साथ जोड़ता है। 21 जून को ही योग दिवस मनाने का कारण यह है कि यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे 'गर्मी का अयनांत' कहा जाता है और यह दिन भारतीय परंपरा में अध्यात्म और सूर्य उपासना के दृष्टिकोण से भी अत्यंत शुभ माना जाता है। योग किसी धर्म से बंधा नहीं है, यह विश्व मानवता के लिए है और सभी वर्गों, धर्मों और आयु के लोगों के लिए उपयुक्त है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य केवल एक दिन योग करना नहीं, बल्कि इसे जीवन की आदत बनाना है ताकि प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ, सक्रिय और आनंदमय जीवन जी सके। इस अवसर पर भारत सहित विश्वभर में योग शिविर, वर्चुअल क्लासेस, सरकारी आयोजनों, स्कूलों, सेना और संस्थानों में सामूहिक योग किए जाते हैं और सोशल मीडिया पर भी योग को लेकर विशेष अभियान चलाए जाते हैं। इस योग दिवस पर हर किसी को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह स्वयं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी ले और प्रतिदिन कम से कम 20 से 30 मिनट योग जरूर करे। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है और योग ही वह साधन है जो तन, मन और आत्मा को जोड़ने का कार्य करता है। योग दिवस 2025 की थीम अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन पिछले वर्षों में रही थीम जैसे “Yoga for Humanity” और “Yoga for Vasudhaiva Kutumbakam” ने यह दिखाया है कि योग एक वैश्विक भावना है जो लोगों को जोड़ती है, तोड़ती नहीं। इस अवसर पर शुभकामनाएँ देना भी एक परंपरा बन चुका है – जैसे “योग अपनाएँ, जीवन को सुखमय बनाएं”, “योग से ही होगा जीवन का उत्थान” या “तन और मन दोनों का समाधान है – योग।” अंततः यही कहा जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस केवल भारत की विजय नहीं, बल्कि विश्व को संतुलन, शांति और स्वास्थ्य का उपहार देने का एक वैश्विक अवसर है – और हर व्यक्ति को इस यात्रा में सहभागी बनना चाहिए।
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